मोदी सरकार का शिक्षा के निजीकरण का कुत्सित षड्यंत्र

मोदी सरकार का शिक्षा के निजीकरण का कुत्सित षड्यंत्र
नॉन नेट फ़ेलोशिप बन्द करने का विरोध करो!

दोस्तो,
7 अक्टूबर को यूनिवर्सिटी ग्राण्ट्स कमिशन (यूजीसी) ने नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (नेट) पास करके न आने वाले छात्रों की फेलोशिप को ख़त्म कर दिया है। इससे एम.फिल. व पी.एच.डी. करने वाले छात्रों को जो फेलोशिप मिलती थी अब वह मिलनी बन्द हो जाएगी। अभी तक नेट की परीक्षा पास करके न आने वाले एम.फिल. के छात्रों को महीने में 5000 और पी.एच.डी. के छात्रों को महीने में 8000 रुपये की फेलोशिप मिलती थी। इसका सीधा-सीधा असर देशभर के छात्रों पर पड़ेगा और उनके लिए अपनी शिक्षा को जारी रख पाना बेहद मुश्किल हो जायेगा। सभी विश्वविद्यालयों समेत हमारे विश्वविद्यालय में भी छात्रों को बेहद दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा और ग़रीब घर से आने वाले छात्रों को तो पढ़ाई तक छोड़ने पर मजबूर होना पड़ेगा। साफ़ नज़र आ रहा है कि कांग्रेस के बाद अब भाजपा सरकार शिक्षा के बाज़ारीकरण की नीतियों को और भी ज़ोर-शोर के साथ लागू कर रही है। इस घटना के विरोध में दिल्ली में यूजीसी के हेडक्वाटर्स पर छात्रों का संघर्ष जारी है।
भाजपा सरकार ने इस साल शिक्षा के बजट में 16 प्रतिशत की भारी कटौती की थी। यह उसी का परिणाम निकलकर सामने आ रहा है। सरकार की नीति आज शिक्षा को धीरे-धीरे निजी हाथों में सौंपने की है। हमारे समाज में जहाँ हर वस्तु माल होती है वहाँ शिक्षा को भी सरकार ने बाज़ार में बिकने वाला माल बना दिया है। 1991 के बाद आयी नयी आर्थिक नीतियों के बाद से यह प्रक्रिया लगातार जारी है। इन नीतियों के बाद निजीकरण और उदारीकरण की रफ्तार अभूतपूर्व गति से तेज़ हुई है और इसके फलस्वरूप शिक्षा का भी तेज़ी से निजीकरण और बाज़ारीकरण होता गया है। सरकारी विश्वविद्यालयों की सीटें लगातार कम होती गयी हैं, फीसें लगातार बढ़ती गयी हैं, सरकारी संस्थानों को बड़े पैमाने पर निजी हाथों में सौंपा गया है और इसके परिणामस्वरूप आज आम घरों से आने वाले छात्रों के लिए उच्च शिक्षा पाना असम्भव होता जा रहा है। इसका अन्दाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 12वीं के बाद हर 100 में से केवल 7 छात्र ही कॉलेजों तक आ पाते हैं। शिक्षा एक बाज़ारू माल बन गयी है जिसे आप तभी पा सकते हैं जब आपकी जेब में मोटा पैसा हो। ग़रीब घरों से आने वाले छात्र इसके ख़ि‍लाफ आवाज़ न उठा सकें इसके लिए सरकार लगातार विश्वविद्यालयों में जनवादी स्पेस को भी छीनती जा रही हैं। इस साल के शुरू में यूजीसी ने अपने एक सर्कुलर में विश्वविद्यालय में पुलिस थाने बनाने, कैमरे लगाने और गेट पर छात्रों की तलाशी लेने, आदि जैसे ख़तरनाक कदम लागू करने के आदेश भी दिये थे। यह सर्कुलर फिलहाल वापस ले लिया गया है लेकिन आने वाले दिनों में इसे थोड़े-बहुत बदलावों के साथ लागू किया जायेगा।
ऐसे में हम छात्रों के लिये यह बेहद ज़रूरी बन जाता है कि यूजीसी के फैसले का विरोध करें और शिक्षा पर हो रहे इस नये हमले को असफल बना दें। देशभर के छात्र इसके विरोध में अपनी आवाज़ उठा रहे हैं और हमें भी अपनी पूरी ताक़त के साथ इसका विरोध करना चाहिए। दोस्तो! शिक्षा पर हो रहे योजनाबद्ध हमलों का जवाब हमें अपनी फ़ौलादी एकजुटता से देना होगा।

उठो नौजवानो, आगे आओ,
शिक्षा को बेचने वालों को धूल चटाओ

यूनीवर्सिटी कम्युनिटी फॉर डेमोक्रेसी एण्ड इक्वॉलिटी (यूसीडीई)

सम्पर्कः नारायण 9764594057 सुनील 9930529380 ईमेल: ucde.mu@gmail.com

फेसबुक पेज: www.facebook.com/ucdemu ब्लॉग: ucde-mu.blogspot.com

No comments:

Post a Comment