हैदराबाद
विश्वविद्यालय में एक दलित छात्र की आत्महत्या
ये आत्महत्या
नहीं बल्कि सरकार व विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा की गयी हत्या है!
दोस्तो
आप में से काफी
लोग यह जानते होंगे कि अभी कुछ ही दिन पहले हैदराबाद विश्वविद्यालय के पाँच दलित छात्रों
को विश्वविद्यालय प्रशासन ने हॉस्टल से बाहर निकाल दिया था। रविवार 17 जनवरी को उन पाँच में से एक छात्र रोहित
वेहमुला ने आत्महत्या कर ली है। यह आत्महत्या नहीं बल्कि भाजपा सरकार व
विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अंजाम दी गयी हत्या है। इसे समझने के लिए हमें इस
पूरी घटना पर नज़र डाल लेनी चाहिए।
पिछले साल अगस्त
में ए.एस.ए.(अम्बेडकर स्टूडेण्ट्स एसोसिएशन) ने हैदराबाद विश्वविद्यालय परिसर में
मुज़फ्फरनगर दंगों पर आधारित एक फिल्म की स्क्रीनिंग की थी जिससे कि हिन्दुत्ववादी
छात्र संगठन ए.बी.वी.पी. बिदक गया था। इसके बाद ए.बी.वी.पी. के प्रेसिडेंट ने आरोप
लगाया था कि उसके साथ ए.एस.ए. के छात्रों ने मारपीट की है। जब उसकी मेडिकल जांच
हुई तो सामने आया कि उसके साथ कोई मारपीट नहीं हुई व सिक्योरिटी गार्डों ने भी इस
बात की पुष्टि की कि कोई मारपीट नहीं हुई और जिन दलित छात्रों पर आरोप लगाया जा था
वे निर्दोष हैं। लेकिन इसके बाद भाजपा के नेता बंगारू दत्तात्रेय ने स्मृति ईरानी
को पत्र लिखकर दलित छात्रों पर कार्रवाई करने को कहा। इसी के चलते विश्वविद्यालय
प्रशासन ने पांच दलित छात्रों को हॉस्टल से निष्कासित कर दिया।
दोस्तो यह देखा
जा सकता है कि विश्वविद्यालय प्रशासन किसके इशारों पर काम कर रहा है। ये छात्र
शुरू से ही नफरत फैलाने वाली दक्षिणपन्थी राजनीति के निशाने पर थे। निकाले जाने के
बाद छात्रों ने अपना संघर्ष जारी रखा और वापस बहाली की मांग पर डटे रहे। सर्दी के
मौसम में वे खुले आसमान के नीचे अपना संघर्ष जारी रखे हुए थे। लेकिन विश्वविद्यालय
प्रशासन और एम.एच.आर.डी. अपने कान में तेल डालकर सोते रहे। इसी का नतीजा है कि एक
बेगुनाह नौजवान ने खुद को फाँसी लगा ली। उसका दोष क्या था? यही कि उसने धर्म की राजनीति करने वाले फासीवादियों के
खिलाफ आवाज़ उठायी थी। रोहित की मौत की ज़िम्मेदार वे ताकतें हैं जो लोगों के आवाज़
और सवाल उठाने पर रोक लगाना चाहती हैं और आज़ाद विचार रखने वाले लोगों को गुलाम
बनाना चाहती हैं। ऐसी ताकतों के खिलाफ संघर्ष आज हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती है।
हिन्दुत्ववादी-फासीवाद से संघर्ष करना अब हम और नहीं टाल सकते। इससे पहले कि कई और
रोहितों के गले घोंट दिये जाय हमें अपने संघर्ष की तैयारी करनी होगी और
हिन्दुत्ववादी-फासीवाद के खिलाफ एक बड़ी ताकत के रूप में खुद को संगठित करना होगा।
इस हत्या के
विरोध में अपनी आवाज़ बुलन्द करने के लिए 19 जनवरी मंगलवार के दिन 11-30 बजे मुम्बई
यूनीवर्सिटी के मेन गेट पर हो रहे विरोध प्रदर्शन में शामिल हों।
यूनीवर्सिटी
कम्युनिटी फ़ॉर डेमोक्रेसी एण्ड इक्वॉलिटी
अखिल भारतीय जाति
विरोधी मंच