The Questions we need to answer for Annihilation of Caste!

In the aftermath of the institutional murder of Rohith
The Questions we need to answer for Annihilation of Caste!
Friends,
     The institutional murder of the brilliant research scholar and progressive activist Rohith Chakravarthy Vemula has caused a tremendous unrest amongst the students and youth of the country. Not only students and youth from various universities, educational institutions and cities but also concerned citizens from all over the country have taken to streets demanding justice for Rohith. As we know Rohith was a student activist associated with the Ambedkar Students Association and a research scholar who had committed suicide on January 17.  But Rohith's death is not a suicide but a cold-blooded institutional murder.

Who Killed Rohith?

रोहित वेमुला की संस्थानिक हत्या से उपजे कुछ अहम सवाल जिनका जवाब जाति-उन्मूलन के लिए ज़रूरी है!

रोहित वेमुला की संस्थानिक हत्या से उपजे कुछ अहम सवाल जिनका जवाब जाति-उन्मूलन के लिए ज़रूरी है!
साथियो,
हैदराबाद विश्वविद्यालय के मेधावी शोधार्थी और प्रगतिशील कार्यकर्ता रोहित चक्रवर्थी वेमुला की संस्थानिक हत्या ने पूरे देश में छात्रों-युवाओं के बीच एक ज़बर्दस्त उथल-पुथल पैदा की है। देश के तमाम विश्वविद्यालयों, शैक्षणिक संस्थानों और शहरों में छात्रों-युवाओं से लेकर आम नागरिक तक रोहित वेमुला के लिए इंसाफ़ की ख़ातिर सड़कों पर उतर रहे हैं। जैसा कि हमें पता है रोहित वेमुला अम्बेडकर छात्र संघ से जुड़े एक छात्र कार्यकर्ता और शोधार्थी थे जिन्होंने 18 जनवरी को आत्महत्या कर ली थी। मगर यह आत्महत्या नहीं एक हत्या थी जिसमें न तो लहू का सुराग मिलता है और न ही हत्यारे का निशान।
रोहित को किसने मारा?
रोहित और उसके साथी हैदराबाद विश्वविद्यालय के कैम्पस में संघी गुण्डों और फ़ासीवादियों के विरुद्ध लगातार सक्रिय थे। उन्होंने

Protest in MU against HCU admin and Fascist BJP govt


A protest was organised today in Mumbai University, Kalina campus by UCDE, AISA, TISS Joint action committie, Republican...
Posted by University Community For Democracy And Equality on Tuesday, January 19, 2016

ये आत्महत्या नहीं बल्कि सरकार व विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा की गयी हत्या है!

हैदराबाद विश्वविद्यालय में एक दलित छात्र की आत्महत्या
ये आत्महत्या नहीं बल्कि सरकार व विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा की गयी हत्या है!
दोस्तो
आप में से काफी लोग यह जानते होंगे कि अभी कुछ ही दिन पहले हैदराबाद विश्वविद्यालय के पाँच दलित छात्रों को विश्वविद्यालय प्रशासन ने हॉस्टल से बाहर निकाल दिया था। रविवार 17 जनवरी को उन पाँच में से एक छात्र रोहित वेहमुला ने आत्महत्या कर ली है। यह आत्महत्या नहीं बल्कि भाजपा सरकार व विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अंजाम दी गयी हत्या है। इसे समझने के लिए हमें इस पूरी घटना पर नज़र डाल लेनी चाहिए।
पिछले साल अगस्त में ए.एस.ए.(अम्बेडकर स्टूडेण्ट्स एसोसिएशन) ने हैदराबाद विश्वविद्यालय परिसर में मुज़फ्फरनगर दंगों पर आधारित एक फिल्म की स्क्रीनिंग की थी जिससे कि हिन्दुत्ववादी छात्र संगठन ए.बी.वी.पी. बिदक गया था। इसके बाद ए.बी.वी.पी. के प्रेसिडेंट ने आरोप लगाया था कि उसके साथ ए.एस.ए. के छात्रों ने मारपीट की है। जब उसकी मेडिकल जांच हुई तो सामने आया कि उसके साथ कोई मारपीट नहीं हुई व सिक्योरिटी गार्डों ने भी इस बात की पुष्टि की कि कोई मारपीट नहीं हुई और जिन दलित छात्रों पर आरोप लगाया जा था वे निर्दोष हैं। लेकिन इसके बाद भाजपा के नेता बंगारू दत्तात्रेय ने स्मृति ईरानी को पत्र लिखकर दलित छात्रों पर कार्रवाई करने को कहा। इसी के चलते विश्वविद्यालय प्रशासन ने पांच दलित छात्रों को हॉस्टल से निष्कासित कर दिया।
दोस्तो यह देखा जा सकता है कि विश्वविद्यालय प्रशासन किसके इशारों पर काम कर रहा है। ये छात्र शुरू से ही नफरत फैलाने वाली दक्षिणपन्थी राजनीति के निशाने पर थे। निकाले जाने के बाद छात्रों ने अपना संघर्ष जारी रखा और वापस बहाली की मांग पर डटे रहे। सर्दी के मौसम में वे खुले आसमान के नीचे अपना संघर्ष जारी रखे हुए थे। लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन और एम.एच.आर.डी. अपने कान में तेल डालकर सोते रहे। इसी का नतीजा है कि एक बेगुनाह नौजवान ने खुद को फाँसी लगा ली। उसका दोष क्या था? यही कि उसने धर्म की राजनीति करने वाले फासीवादियों के खिलाफ आवाज़ उठायी थी। रोहित की मौत की ज़ि‍म्मेदार वे ताकतें हैं जो लोगों के आवाज़ और सवाल उठाने पर रोक लगाना चाहती हैं और आज़ाद विचार रखने वाले लोगों को गुलाम बनाना चाहती हैं। ऐसी ताकतों के खिलाफ संघर्ष आज हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती है। हिन्दुत्ववादी-फासीवाद से संघर्ष करना अब हम और नहीं टाल सकते। इससे पहले कि कई और रोहितों के गले घोंट दिये जाय हमें अपने संघर्ष की तैयारी करनी होगी और हिन्दुत्ववादी-फासीवाद के खिलाफ एक बड़ी ताकत के रूप में खुद को संगठित करना होगा।
इस हत्या के विरोध में अपनी आवाज़ बुलन्द करने के लिए 19 जनवरी मंगलवार के दिन 11-30 बजे मुम्बई यूनीवर्सिटी के मेन गेट पर हो रहे विरोध प्रदर्शन में शामिल हों।
यूनीवर्सिटी कम्युनिटी फ़ॉर डेमोक्रेसी एण्ड इक्वॉलिटी
अखिल भारतीय जाति विरोधी मंच
सम्पर्क- विराट 9619039793, नारायण 9764594057  ईमेलः ucde.mu@gmail.com, ब्लॉगः www.ucde-mu.blogspot.com
फेसबुक पेजः www.facebook.com/ucdemu   www.facebook.com/abjvm



मोदी सरकार का छात्रों के लिए अच्छे दिन का तोहफ़ा - शिक्षा का निजीकरण, फ़ासीवादीकरण और आवाज़ उठाने वाले छात्रों का दमन!

मोदी सरकार का छात्रों के लिए अच्छे दिन का तोहफ़ा

शिक्षा का निजीकरण, फ़ासीवादीकरण और आवाज़ उठाने वाले छात्रों का दमन!


साथियो!

शायद आप जानते ही होंगे कि एफटीआईआई (भारतीय फिल्म व टेलीविजन संस्थान), पुणे के छात्रों ने 139 दिनों की एक शानदार हड़ताल पिछले दिनों लड़ी थी। आपको अब तक गजेन्द्र चौहान का नाम भी अच्छे से याद हो चुका होगा जो राधे माँ और आसाराम जैसे अपराधी पाखण्डी बाबाओं और माताओंके भक्त हैं, हनुमान चालीसा यन्त्र जैसे अन्धविश्वास का प्रचार करते हैं, ‘खुली खिड़कीऔर जंगल लवजैसी सॉफ्रट पॉर्न फिल्मों में काम कर चुके हैं और उनकी इन्हीं “बेहतरीन योग्यताओं को देखते हुए मोदी सरकार द्वारा उन्हें एफटीआईआई का अध्यक्ष बना दिया गया है।  सिर्फ गजेन्द्र चौहान ही नहीं बल्कि एफटीआईआई सोसायटी में चार ऐसे अन्य लोगों को घुसा दिया गया है जो इस शानदार संस्थान में होने की काबिलियत नहीं रखते। 7 जनवरी को जब गजेन्द्र चौहान संस्थान में अपना पहला दौरा करने आये तो वहाँ के छात्रों ने उनका शांतिपूर्ण विरोध करना शुरू किया लेकिन अहंकार में डूबी मोदी सरकार के इशारों पर पुणे पुलिस ने पहले तो छात्रों पर बल प्रयोग किया व बाद में लगभग 40 छात्रों को हिरासत में ले लिया।

ये एक अकेली घटना नहीं है। एक

Protest in Mumbai University against repression of FTII students



A protest demonstration was organized today under the banner of UCDE at main gate of kalina campus, MU against the...
Posted by University Community For Democracy And Equality on Saturday, January 9, 2016